शरद पूर्णिमा पर खीर रखने की परंपरा, जानिए पूजा का महत्व, शुभ मुहूर्त और धार्मिक कथा

आज देशभर में शरद पूर्णिमा का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में यह तिथि बेहद पवित्र मानी जाती है क्योंकि इसी रात चंद्रमा सबसे उज्जवल और पूर्ण होता है। ज्योतिष के अनुसार, आज के दिन चंद्रमा की किरणों में औषधीय और अमृत तत्व होता है।
इस अवसर पर रात को खीर बनाकर खुले आकाश के नीचे रखी जाती है। ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा की रोशनी में रखी गई खीर का सेवन करने से रोग दूर होते हैं और मन को शांति मिलती है। इसे “अमृत खीर” भी कहा जाता है।
शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु की संयुक्त पूजा का विधान है। भक्त इस दिन लक्ष्मी-विष्णु का अभिषेक करते हैं और रातभर जागरण कर भजन-कीर्तन करते हैं।
2025 में शरद पूर्णिमा का चंद्रोदय शाम 5 बजकर 27 मिनट पर होगा। इस बार भद्रा का काल 10 घंटे 16 मिनट तक रहेगा, इसलिए पूजा और खीर रखने के लिए रात्रि 11:30 बजे से 2:00 बजे का समय सर्वश्रेष्ठ है।