
IIT गुवाहाटी की टीम ने नल और नदी के पानी सहित अन्य माध्यमों में कैंसर-कारक पारा और एंटीबायोटिक प्रदूषकों का पता लगाने के लिए एक तेज़ और विश्वसनीय नैनोसेंसर विकसित किया है।
कार्बन डॉट्स UV प्रकाश में चमकते हैं, लेकिन जब खतरनाक तत्व मिलते हैं तो उनकी चमक कम हो जाती है — जिससे प्रदूषण का तुरन्त संकेत मिल जाता है।
शोध Microchimica Acta में प्रकाशित हुआ है।